कैसे भरेगा पेट
सरकार के लाख जतन के बावजूद महंगाई और आबादी सुरसा की तरह मुंह फैलाए जा रही है। खाद्य भंडार खाली हो रहे हैं, अनाज घट रहा है। अगर यहीं हाल रहा तो आगे चलकर कैसे भर पाएगा बढ़ती आबादी का पेट।
महंगाई पर बचाव करने के कांग्रेस की झोली के सारे तर्क व तीर अब लगभग खत्म हो चुके हैं। मुद्रास्फीति का आंकड़ा ऊंचाई की ओर बढ़ता देख अब कांग्रेस ने बचाव के लिए परमाणु करार को नया ढाल बनाया है। कांग्रेस का तर्क है कि करार को अंजाम देकर भविष्य में महंगाई को काबू में किया जा सकता है। पर क्या यह मुनासिब है? चूंकि पब्लिक सब जानती है, भले ही वह कुछ न कहे यह और बात है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) जितना परमाणु करार के लिए बेकरार है, अगर इतना ही बढ़ती महंगाई व आबादी को रोकने का प्रयास करता तो शायद कुछ ठीक होता। लेकिन न तो सरकार ने इस ओर ध्यान दिया, और न ही खुद को आम जनता का सबसे ज्यादा हितैषी बताने वाले वामदलों ने। हालांकि दिखावे के लिए ही सही पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कुछ हद तक महंगाई व करार को लेकर सरकार पर प्रहार जरूर किया। वह भी इसलिए क्योंकि भाजपा को इनके सहारे सत्ता में आने का रास्ता नजर आ रहा है।
कुल मिलाकर आम जनता को ज्यादा दिन तक धोखा नहीं दिया जा सकता है। हर चीज की सब्र की सीमा होती है। हो सकता है कि आगामी चुनाव में जनता संप्रग को अपनी ताकत का अहसास करा दे।
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