शादी और आबादी
देश में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा के बाद सरकार ने आपातकाल के दौर में जबरन नसबंदी का अभियान चलाया था। लेकिन बाद में केंद्र में सत्ता में आई जनता पार्टी की सरकार ने पूर्ववती कांग्रेस सरकार की इस नीति को बाध्यकारी से ऐच्छिक नसबंदी कार्यक्रम में तब्दील कर दिया। फिर भी आबादी बढ़ती गई।
इसके बाद ‘हम दो-हमारे दो’ जैसे नारों के बावजूद आबादी में इजाफे की दर काबू में नहीं आ रही है, और अधिकतर राज्य जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में अब भी धीमी गति से ही आगे बढ़ रहे हैं।
अब स्वास्थ्य मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद देश की बढ़ती आबादी को कम करने का एक अनूठा नुस्खा़ लाए हैं। उनका कहना है कि देर से शादी की जाए तो जनसंख्या में बढ़ोतरी पर रोक लगेगी। पर क्या यह मुनासिब है?
आजाद का यह कहना कि गांवों में विद्युतीकरण से जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण में मदद मिल सकती है। बिजली के कारण घरों में टेलीविजन की पहुंच होगी, जिससे जनसंख्या वृद्धि नियंत्रित होगी। जब बिजली नहीं रहती है तो लोग जनसंख्या वृद्धि की प्रक्रिया में लग जाते हैं। लेकिन जहां पर टीवी की पहुंच है, क्या वहां जनसख्या में इजाफा नहीं हुआ है?
जरूरत है बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए जरूरी है कि जमीनी स्तर पर आम लोगों को परिवार की सदस्य संख्या बढ़ाने के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दिए जाने की। इसके साथ ही उन्हें छोटे परिवार के फायदे बताए जाने की भी आवश्यकता है। जब तक लोग खुद नहीं चेतेंगे, तब तक आबादी यूं ही बढ़ती रहेगी।