क्यों रूठ गईं मां
किसी ने कल्पना भी न की होगी कि गंगा मैया के ये दिन भी देखने पड़ेंगे। जिस नदी से तीर्थराज प्रयाग की पहचान है, उसी का यह रूप कैसे हो गया। आखिर क्यों रूठ गईं मां? अगर गंगा को सदा साफ रखा जाता, प्रदूषित न होने दिया जाता, फैक्ट्री का गंदा पानी न गिराया जाता तो आज क्या ये दिन देखने को पड़ता? अब यहीं विनती है कि जैसे भी हो सके गंगा को बचाओ।
3 Comments:
nice
देर तो हो चुकी है..काश, अभी भी चेत जायें.
यह व्यवस्था की है।
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