Friday, April 23, 2010

क्यों रूठ गईं मां



किसी ने कल्पना भी न की होगी कि गंगा मैया के ये दिन भी देखने पड़ेंगे। जिस नदी से तीर्थराज प्रयाग की पहचान है, उसी का यह रूप कैसे हो गया। आखिर क्यों रूठ गईं मां? अगर गंगा को सदा साफ रखा जाता, प्रदूषित न होने दिया जाता, फैक्ट्री का गंदा पानी न गिराया जाता तो आज क्या ये दिन देखने को पड़ता? अब यहीं विनती है कि जैसे भी हो सके गंगा को बचाओ।

3 Comments:

At April 23, 2010 at 6:19 AM , Blogger Randhir Singh Suman said...

nice

 
At April 23, 2010 at 6:58 AM , Blogger Udan Tashtari said...

देर तो हो चुकी है..काश, अभी भी चेत जायें.

 
At April 23, 2010 at 8:38 AM , Blogger देवेन्द्र पाण्डेय said...

यह व्यवस्था की है।

 

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