Saturday, March 6, 2010

कुछ तो शर्म करो

आश्रम में मची भगदड़ और उसमें मारे गए बच्चों व महिलाओं के परिजन भले ही गहरे शोक के सागर में डूब गए हों, पर कृपालु महाराज और उनकी मंडली को जरा सा भी पछतावा नहीं है। ये महाशय इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के जख्मों पर मलहम लगाने के बजाय उस पर नमक डालने का काम कर रहे हैं। कृपालु का कहना है कि लोग अपनी मौत के जिम्मेदार खुद हैं, वहीं आश्रम के एक डाक्टर ने इसके लिए ईश्वर को दोषी ठहराने से भी गुरेज नहीं किया।

डाक्टर का कहना है कि जिस तरह भगदड़ मची थी, उससे कई लोगों की जानें जा सकती थी पर प्रशासन की चौकसी से कई जानें बचाई जा सकीं। यह भगवान की ही लीला थी, जो यह हादसा हुआ। प्रशासन की बयानबाजी से सुनने व पढ़ने वालों को भले ही शर्म आ जाए, पर क्या करूं शर्म इन्हें तो आती नहीं। प्रशासन का कहना है कि अच्छा हुआ जो महिलाएं और बच्चे अधिक मरे। भगवान का शुक्र है कि उन्होंने बड़े व बुजुर्ग लोगों को बचा लिया।

कृपालु ने कहा कि लोग अपनी मौत के जिम्मेदार खुद हैं। हमने किसी को भी नहीं बुलाया, बल्कि वो अपनी मर्जी से यहां आए थे। इनको पता तो तब चलता, जब इनके सगे-संबंधी मारे जाते। ये वहीं कृपालु है जिनपर दुष्कर्म व यौन शोषण का आरोप भी लग चुका है।

मनगढ़ हादसे पर सियासत भी तेज हो गई है। पर इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के जख्म कैसे भरेंगे। कोई इस पर अफसोस जताएगा तो कोई निंदा करेगा पर इससे क्या होगा। कैसे भरेंगे जख्म।

2 Comments:

At March 6, 2010 at 8:07 AM , Blogger Udan Tashtari said...

बहुत अफसोसजनक और दुखद हादसा...

 
At March 16, 2010 at 2:49 AM , Blogger Rohit Singh said...

ये है नए साधुओं का सच, धर्म का मर्म नाश कर रखा है इन्होंने..सिर्फ गरीबों की गरीबी का मज़ाक बनाया है इन्होंने..

 

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