Sunday, September 14, 2008

हिंदी : कब बनेगी भारत के माथे की बिंदी?

राष्ट्रभाषा हिंदी की दुर्दशा जितनी भारत में है, उतनी अन्य किसी देश में उसकी मातृ भाषा के लिए देखने को नहीं मिलेगी। भारतीय संविधान में व्यवस्था के 58 साल बाद भी हिंदी व्यवहार में राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई।

देश की आजादी के बाद जब अपना संविधान बना तो हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। व्यवस्था की गई कि 15 साल में ही हिंदी अपना उचित स्थान ले ले लेगी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। आज भी हिंदी अपना हक पाने के लिए जूझ रही है।

देश में हिंदी को बढ़ावा मिलने की बजाय अब इसके अस्तित्व का संकट उठ खड़ा हुआ है। पहले तो अधिकारीगण थोड़ी-बहुत हिंदी का प्रयोग कर भी लेते थे, लेकिन अब कांवेंटी शिक्षा पाए युवा अफसरों की फौज इसे और डुबाने में लगी हुई है। सरकारी मशीनरी भी भला हिंदी से परहेज क्यों न करे, जब देश के आला पदों पर बैठे लोग ही हिंदी को भुलाए बैठे हैं।

9 Comments:

At September 14, 2008 at 7:20 AM , Blogger अविनाश वाचस्पति said...

आज आप शिकायत नहीं कर सकते
क्‍योंकि आज रविवार है
इसलिए बंधु आज हिन्‍दी की भी
छुट्टी मनाईये पर बाकी दिन
अंग्रेजी की छुट्टी घोषित करवाईये।

 
At September 14, 2008 at 1:02 PM , Blogger महेन्द्र मिश्र said...

हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामना
गर्व से कहे हिन्दी हमारी भाषा है
जय हिन्दी .

 
At September 14, 2008 at 2:09 PM , Blogger रंजन राजन said...

हिन्दी भाषा में उसकी बोलियों के शब्द लीजिये। अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द लीजिये । इससे हिन्दी भारतीय भाषाओं के समीप जायेगी । हिन्दी की स्वीकार्यता बढेगी। देश की एकता मजबूत होंगी।
अंतर्जाल पर हिंदी कई रंग बदलती हुई ऊंचाई पर आयेगी। मेरी शुभकामनाएं।
शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी डालने वालों को सुविधा होगी।
-
हिंदी दिवस पर मैंने भी एक पोस्ट
http://medianarad.blogspot.com/
पर डाली है। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।

 
At September 14, 2008 at 8:12 PM , Blogger शोभा said...

वाह ! बहुत सुंदर लिखा है. आपका स्वागत है

 
At September 14, 2008 at 9:34 PM , Blogger सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

हिन्दी की सेवा करने के लिए हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने ब्लॉग जगत से एक अनुरोध किया है। आप वहाँ जरुर जाएं। इलाहाबाद से आपका पुराना नाता भी है।

 
At September 14, 2008 at 11:50 PM , Blogger شہروز said...

श्रेष्ठ कार्य किये हैं.
आप ने ब्लॉग ke maarfat जो बीडा उठाया है,निश्चित ही सराहनीय है.
कभी समय मिले तो हमारे भी दिन-रात आकर देख लें:

http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/

 
At September 15, 2008 at 4:44 AM , Blogger पवन मिश्रा said...

बिल्कुल सही मुद्दा है.


शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी डालने वालों को सुविधा होगी.
ब्लॉग बनाने, सजाने और ब्लॉग से कमाने सम्बन्धी जानकारी ' ब्लॉग्स पण्डित ' से प्राप्त करें.

 
At September 15, 2008 at 9:37 PM , Blogger Kavita Vachaknavee said...

नए चिट्ठे का स्वागत है.
निरंतरता बनाए रखें.
खूब लिखें, अच्छा लिखें.

 
At September 16, 2008 at 9:40 AM , Blogger प्रदीप मानोरिया said...

जय हिंदी! आपका हिन्दी के प्रति चिंतन और चिंता अनुकरणीय है कृपया मेरे ब्लॉग पर पधार कर हिंदी को समृद्ध करें

 

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