तो न मचती भगदड़
एक तरफ लालच, दूसरी तरफ अव्यवस्था। यही लालच और अव्यवस्था उनके लिए काल बन गया। आस्था का सैलाब पलक झपकते ही मातम में बदल गया। संत कृपालु महाराज के भक्तिधाम मंदिर आश्रम में थाली, रुमाल और बीस रुपये के नोट के लिए मची होड़ में इस कदर अव्यवस्था फैली कि भगदड़ मच गई। चीख-पुकार के बीच लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे, रौंदने लगे। देखते ही देखते वहां लाशें बिछ गई। मौका था कृपालु महाराज की पत्नी की बरसी पर भंडारे का।
थाली, रुमाल और बीस रुपये के नोट का लालच उनके लिए मौत का संदेश लेकर आया। इन्हें हासिल करने के लिए ही कृपालु महाराज के आश्रम में सुबह से ही भीड़ जुटना शुरू हो गई थी। लोगों को संभालना मुश्किल हो रहा था। तेज धूप ने लोगों में बेचैनी बढ़ी और इससे लोहे के गेट पर बोझ बढ़ता गया। महिलाएं अपने साथ बच्चों को इसलिए लेकर आई थीं, ताकि वे तीन-तीन, चार-चार थालियां हासिल कर सकें। यही लालच और अव्यवस्था उनके लिए काल बन गया।
इतने बड़े आयोजन के लिए न तो प्रशासन से अनुमति ली गई, और न ही प्रशासन को सूचना ही दी गई। कार्यक्रम स्थल पर फायरब्रिगेड या एंबुलेंस की एहतियाती व्यवस्था नहीं की गई। अगर इतने बड़े आयोजन से पहले आश्रम की ओर से पुख्ता व्यवस्था की जाती तो न तो भगदड़ मचती न उनकी जान न जाती। न बच्चे अनाथ होते, न वो विधवा होती और न ही उनके जिगर के टुकड़ों की जान जाती..
2 Comments:
बहुत दुखद और अफसोसजनक रहा..
बेहद दुखद...
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