महिला उत्पीड़न कब तक ?
महिला उत्पीड़न के मामलों में हो रहा इजाफा चिंता का विषय है। ऐसा कोई दिन नहीं होता है, जब देशभर में कहीं न कहीं महिला उत्पीड़न के मामले सामने न आतें हों।
कभी किसी महिला का दहेज कम लाने के लिए उत्पीड़न होता है तो कभी किसी महिला का बेटी के पैदा होने पर भी उत्पीड़न किया जाता है। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई न होने के कारण दहेज लोभियों के हौसले बढ़ रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए राज्य सरकारें भी खास गंभीर नहीं हैं।
महिला उत्पीड़न के बढ़ते मामलों में राज्य महिला आयोग भी कठघरे में हैं। घरेलू हिंसा, दहेज संबंधी मामलों में मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताडि़त महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए गठित राज्य महिला आयोग में काफी मामले लंबित हैं।
अगर महिला आयोग ध्यान दें तो काफी हद तक ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। आयोग को मजबूत बनाने के लिए सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन घरेलू हिंसा और प्रताड़ना की शिकार महिलाएं वहां से न्याय न मिलने के कारण खुद को असहाय महसूस करती हैं।
महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए सरकार की इच्छाशक्ति का अभाव झलकता है। सरकार को चाहिए कि बढ़ते महिला उत्पीड़न के मामलों को गंभीरता से ले। जब तक सरकार इन मामलों को गंभीरता से नहीं लेगी, तब तक महिला उत्पीड़न के मामलों में इजाफा होता रहेगा।
7 Comments:
बहुत सही लिखा है।
हालांकि कभी पुरुष उत्पीड़न पर भी कलम चलाएं।
Kaaran kuchh bhi hon parantu lagta nahin ki mahila utpeedan kam hoga.Mahila aayog men kuchek ko chhod den to baaki ko dekh kar bhi nahin lagta ki ve publicity se jyada is mamle men koi adhik ruchi rakhti hain.
sachinji
mahila utpeedan rokney key liye sarkar key saath samajik estar per bhi pryas kiye jane chahiye.
धन्यवाद
चलिये आप अपने आसपास देख कर बातये ज्यादा महिला उत्पीड़न हे या पुरुष????
बात तो सही है महिला उत्पीड़न इतना बड़ा और व्यापक हो चला है कि जब तक खुद महिला अपने लिए नहीं जागेगी तब तक कुछ भी नहीं हो सकता। और दूसरी महिलाओं को भी उनका साथ देना होगा।
जब तक सरकार इन मामलों को गंभीरता से नहीं लेगी, तब तक महिला उत्पीड़न के मामलों में इजाफा होता रहेगा।
" ye to sadeeyon se hotta aa rha hai, or shayad hotta bhee rhega, reason chae kuch bhee ho..." thanks for showing concern through your artical. great job"
Regards
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home