'जल ही जीवन है' के मायने अगर हम आज नहीं समझे तो भावी पीढ़ी बूंद-बूंद को तरसेगी। भू-गर्भ जल वैज्ञानिकों की माने तो मौजूदा व भावी जल संकट से निजात पाने के लिए भू-गर्भ जल का सिर्फ दोहन हीं नहीं इसे रीचार्ज भी करना होगा।
दुखद स्थिति यह है कि 'वाटर हार्वेस्टिंग' के प्रति न तो आम जनता सचेत है और न ही शासन-प्रशासन चिंतित। वर्षा जल का 80 फीसदी हिस्सा समुद्र में बह रहा है। इसे रोकने के लिए कंटूर, गार्डवाल, चेक डैम, रीचार्ज पिट आदि का निर्माण नहीं हुआ तो धरती सूख जाएगी, इसके बाद की परिकल्पना सहजता से की जा सकती है।
इसे भी जानें
-पेयजल आपूर्ति व स्वच्छता विभाग के मानदंडों पर गौर करें तो झरना, वाश व बाथ बेसिन, शेविंग, ब्रश करने आदि के अत्याधुनिक तरीके औसत से सौ गुना से भी अधिक जल की बर्बादी करते हैं।
- स्नान करने के क्रम में लगातार झरना बहाने से नब्बे लीटर पानी बहता है। साबुन लगाते समय झरना बंद कर देने से सत्तर लीटर पानी बचाया जा सकता है।
-ब्रश करते समय चलता हुआ नल पांच मिनट में पैंतासील लीटर पानी बहाता है। मग का इस्तेमाल कर 44.5 लीटर पानी की बचत की जा सकती है।
- हाथ धोने के दौरान खुला नल दो मिनट में 18 लीटर पानी बहाता है। हाथ धोने में मग के इस्तेमाल से 17.75 लीटर पानी बचाया जा सकता है।
- शेविंग के वक्त बहता हुआ नल दो मिनट में 18 लीटर पानी बहाता है। मग से शेविंग कर 16 लीटर पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है।
-सौ वर्गफीट की छत से 10 लोगों को पानी बरसात के दिनों में यदि हम सौ वर्गफीट की छत का पानी संचय करते हैं, तो पूरे एक साल तक आठ से 10 लोगों को प्रतिदिन 213 लीटर पानी मिल सकता है।
वर्षा जल संग्रहण मामले के विशेषज्ञों के मुताबिक यदि किसी वर्ष औसतन 1300 मिमी. बारिश होती है तो 'वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम' अपनाकर सौ वर्गफीट के छत से प्रतिवर्ष एक लाख 30 हजार लीटर पानी संचित किया जा सकता है। अलबत्ता, वाष्पीकरण के बाद इस जल का 60 फीसदी हिस्सा ही भू-गर्भ में प्रवेश करता है। फिर भी यह एक परिवार को पूरे साल पानी पिलाने में सक्षम है।