असुरक्षित महिलाएं
समय के साथ भले ही सब कुछ बदल गया हो, पर महिलाओं के प्रति पुरुषों की क्रूरता का रवैया शायद अभी तक नहीं बदला है। यहीं कारण है कि कार्यस्थल व सड़कें तो दूर की बात है अपने घरों में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
महिलाएं व युवतियां ही नहीं मासूम बच्चे भी बहशी दरिंदों की हवस का शिकार बन रहे हैं। कहीं, पड़ोसी मासूम बच्चे से दुष्कर्म करता है तो कहीं ससुर ही अपनी बहू की अस्मत लूटता रहता है। आए दिन ऐसी घटनाएं होनी आम बात हो गई है। क्यों हो रहा है ये सब। बहशी दरिंदों का इतना नैतिक पतन क्यों हो रहा है। आए दिन हो रही दुष्कर्म की घटनाओं का कारण चाहे जो भी हो, पर आपराधिक प्रवृत्ति स्वस्थ समाज के लिए कदापि ठीक नहीं है।
जब तक समाज के हर वर्ग के लोग महिलाओं के प्रति अपनी मानसिकता में बदलाव नहीं लाएंगे, तब तक स्थिति में सुधार होना मुमकिन नहीं है। अगर लोग अपने नजरिये में जरा सा भी बदलाव ले आएं, तो शायद काफी हद तक समस्या का समाधान हो जाए।