Saturday, August 30, 2008

खुदा भी आसमां से...

खुदा भी आसमां से जब देखता होगा
मैंने यह क्या कर डाला सोचता होगा
चाह थी उसकी सब लोग मिलकर रहेंगे
यह न जाना अपनों को भी नहीं बख्शेंगे
बहन ही बहन को धकेल देगी सेक्स रैकेट में
महिला ही महिला को बेच देगी चंद रुपयों में
और बाप ही लूट लेगा बेटी की आबरू
गुरुदक्षिणा में सेक्स मांगेंगे कलियुगी गुरु
जाने कहां चली गई लाज, शर्म और इज्जत
काश ! तुम अब भी जाते चेत.

Sunday, August 17, 2008

छई छप छई

जैसा करोगे वैसा भरना ही पड़ेगा।
प्रकृति से छेड़छाड़ का खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा।।

पहले तो बाज नहीं आए अपनी हरकतों से।
अब क्यों चिल्ला रहे हो खुदा बचाए मुसीबतों से।।

कहीं बारिश तो कहीं बाढ़ का कहर।
करते रहो छई छप छई।।

Wednesday, August 13, 2008

अफवाह या हकीकत

फिर दूध पीन लगीं मूर्तियां, अफवाह है या हकीकत यह कोई न जाने।
लोग सरपट भाग रहे हैं, मूर्तियों को दूध पिलाने।।

कब तक लोग यूं ही भागते रहेंगे अफवाहों के पीछे।
हकीकत भी जानेंगे या आप भी भाग रहे हैं लोगों के पीछे।।

Tuesday, August 5, 2008

कब लेंगे सबक

देश में धार्मिक स्थलों पर हर साल अफवाह फैलती हैं और भगदड़ मचती है, जिससे सैकड़ों लोगों की जानें जाती हैं। फिर भी ऐसी घटनाओं से सबक नहींलिया जाता है, अगर सबक लिया जाता होता तो रविवार को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित नयना देवी मंदिर में हादसा न होता। और न ही करीब डेढ़ सौ लोगों की जान जाती। क्योंकि नयना देवी मंदिर में पच्चीय साल पहले भी अफवाह के चलते मची भगदड़ में करीब पचपन लोगों की जान गई थी।

खासकर भीड़-भाड वाले स्थलों पर तो व्यवस्था का खास ध्यान रखा जाना चाहिए, पर हमारे नीति नियंता धार्मिक स्थलों खासकर भीड़-भाड़ वाले स्थलों को रामभरोसे छोड़ देते हैं।

कहते हैं कि
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं।
स्वप्न का पर्दा निगाहों से हटाती हैं।।
हौसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर।
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती हैं।।

फिर भी शायद हम ठोकरें खाने के आदी से हो गए हैं, अगर आदी न हो गए होते तो हर ठोकर से हम कुछ न कुछ सबक जरूर लेते।